मुरादाबाद, जून 8 -- खुशहालपुर बसंत विहार में भजन संध्या, कथा आयोजित की जा रही है। कथा में कथा व्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि भोगासक्त सकामी पुरुष के हृदय में भक्ति का निवास नहीं होता। कामना पूर्ण नहीं होती, तब तक तो उसके हृदय में वैसे आग लगी रहती है और यदि कहीं कामना की पूर्ति हुई तो कामना एक की आग और भी बढ़ जाती है, इसलिये भक्तिदेवी उससे दूर हट जाती है। भक्ति की प्राप्ति के लिये विषय-कामना का त्याग अति आवश्यक है। यह सृष्टि भगवान से ही उत्पन्न हुई है। भगवान के अन्तर्गत ही रहती है और अंत में भगवान में ही लीन हो जाती है। भगवान से अलग सृष्टि की कोई स्वतंत्र सत्ता है ही नहीं। ऐसे ही हम सभी सब समय में भगवान के अन्तर्गत ही रहते हैं। होहि राम को नाम जप, तुलसी तजि कुसमाज। भगवान के होकर भगवान का भजन करने का विलक्षण माहात्म्य प्...