वाराणसी, अक्टूबर 10 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। हरि के समान ही हरि की कथा भी अनंत है। यह कभी समाप्त हो ही नहीं सकती। हमें जब भी, जहां भी अवसर मिले कथा श्रवण करना ही चाहिए। आप शिव की कथा सुनते हैं तो राम प्रसन्न होते हैं। राम की सुनते हैं तो शिव प्रसन्न होते हैं। यहां तो आप शिवमय रामकथा सुन रहे हैं। शिव और राम दोनों ही आप पर प्रसन्न होंगे। ये बातें वृंदावन की साध्वी श्रीनिष्ठा ने कहीं। वह कोशलेश नगर नागरिक समिति एवं शिवमय श्रीरामकथा आयोजन समिति की ओर से स्थानीय पार्क में हो रही कथा में गुरुवार को प्रवचन कर रही थीं। उन्होंने कहा मानस में गोस्वामी तुलसी दास लिखते हैं 'रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥ अर्थात् प्रभु श्रीराम की कथा इतनी विस्तृत, इतनी विराट है कि कोरोड़ों कल्प व्यतीत हो जाएंगे फिर भी पूर्ण नहीं होगी। मानस में स...