हरिद्वार, जुलाई 21 -- कांवड़ मेले का स्वरूप पिछले 13 सालों में पूरी तरह बदल गया है। इन सालों में कांवड़ मेले में भीड़ तो बढ़ी ही, साथ ही मेला क्षेत्र का आकार भी बढ़ गया है। 2012 तक कांवड़ मेला उत्तरी हरिद्वार तक फैला था, जो आज पूरे हरिद्वार क्षेत्र में फैल गया है। कांवड़ पटरी और बैरागी कैंप की पार्किंग चलने के कारण ही मेला पूरे शहर में बढ़ता चला गया। पुलिस की तैयारियां भी पहले ऋषिकुल से लेकर सप्तऋषि तक की होती थी, लेकिन अब पूरे जिले भर के अलावा बहादराबाद से लेकर हरिद्वार तक तैयारियां की जाती है। 75 फीसदी कांवड़ की दुकानें पिछले 50 सालों में बढ़ गई हैं। 2010 तक 250 दुकानें ही कांवड़ बाजार में सजती थी, जो अब 750 हो गई है। इसके अलावा बाजारों की दुकानें अलग है, जो पूरे साल लगी रहती है। 2012 तक कांवड़ मेला, पंतद्वीप, चमगादड़ टापू, रोडीबेलवाला ...
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