देहरादून, जुलाई 17 -- जैन आचार्य सौरभ सागर महामुनिराज के मंगल सानिध्य में गुरुवार को जैन भवन में जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक कर शांतिधारा की गयी। संगीतमय कल्याण मंदिर विधान में भक्तों ने बड़े भक्ति भाव के साथ 23वें तीर्थंकर चिंतामणि भगवान पार्श्वनाथ की आराधना की। विधान के पुण्यार्जक सुखमाल चंद जैन, रचना जैन, आशीष जैन, अनुपमा जैन रहे। भगवान पार्श्वनाथ की भक्ति आराधना के छठवें दिन आचार्य श्री सौरभ सागर महाराज ने कहा कि आराधना के तरीके हम लोगों को आचार्यों ने बताये हैं। हमें अपने भीतर केवल भाव बनाने पड़ते हैं। भक्ति करने वाला व्यक्ति ना तो अभाव में जीता है और ना ही प्रभाव में जीता है। वह तो केवल अपने निर्मल स्वभाव में जीता है। पूजा का सम्बद्ध भाव से होता है, ना कि द्रव्य या पात्र से। जिस दिन इंसान को सम्पन्नता में अपने नीचे स्थिति का ज्ञान होगा...