शामली, जुलाई 12 -- जैन संत विव्रत सागर महाराज ने कहा है कि हमें इस प्रकार का जीवन जीना चाहिए जिसमें राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न हो और किसी भी प्राणी को कोई कष्ट न हो। उन्होने कहा कि हमारी आत्मा में ही ज्ञान छिपा हुआ है। श्री दिगम्बर जैन धर्मशाला में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए जैन संत विव्रत सागर महाराज ने कहा कि जब एक जीव उत्पन्न होता है, वह अपना सांसारिक जीवन जीता है, इसके बाद उसे संसार आसान लगने लगता है। पहले मनुष्य संयम को अपनाता था, साधु बनता है, ध्यान में मगन रहता था लेकिन आज मनुष्य के अंदर वासना पैदा हो गयी है। जैन धर्म में बताया गया है कि हमंे किस तरह जीवन यापन करना चाहिए, किस धर्म का पालन करना चाहिए ताकि हमारे अंदर राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न हो और किसी प्राणी को भी कोई कष्ट न हो। भगवान महावीर का भी कहना है कि जिओ और...