लखनऊ, मई 15 -- ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए शुरुआती चार घंटे अहम होते हैं। गोल्डन आवर्स में इलाज मुहैया कराकर मरीज की जान बचा सकते हैं। ब्रेन स्ट्रोक मरीजों को समय पर इलाज उपलब्ध कराने के लिए हब एंड स्पोक मॉडल तैयार किया गया है। इसमें जिलास्तरीय अस्पताल में तैनात डॉक्टर, नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने गुरुवार को लोहिया संस्थान प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यशाल में यह जानकारी दी। लोहिया संस्थान में ब्रेन स्ट्रोक पर प्रशिक्षण कार्यशाला में न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक मरीज का जल्द से जल्द से सीटी स्कैन होना चाहिए। ताकि खून का थक्का कहां और कितना जमा है। इसका पता लगाया जा सके। उन्होंने बताया कि साढ़े चार घंटे के भीतर स्ट्रोक...