अयोध्या, अगस्त 12 -- अयोध्या,संवाददाता। "अरे रामा रिमझिम बरसे पनिया, झूलैं राजा-रनियांं रे हारी.. " इन कजरी गीतों व आचार्य प्रणीत पदों के गायन के साथ सावन झूला महोत्सव अब भी करीब आधा दर्जन मंदिरों में चल रहा है। सावन पूर्णिमा के पर्व पर अधिकांश मंदिरों में उत्सव को विराम दे दिया गया है। फिर भी अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग आचार्य परम्परा है जिसके अनुसार आयोजन किया जाता है। इन्हीं में हनुमत निवास, हनुमत सदन व हनुमान किला गहोई मंदिर व अन्य शामिल हैं। यहां झूलनोत्सव सावन शुक्ल तृतीया को शुरू होकर पूर्णिमा के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार को समापन होता है। हनुमत निवास के महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण का कहना है कि तत् सुखी सुखित्व की भावना के साथ आराध्य के मुखोल्लास के लिए संत उत्सवों का आयोजन करते हैं। --

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