नई दिल्ली, अगस्त 24 -- कोई उन्हें बाहुबली कहता था, कोई सियासत का माहिर खिलाड़ी। इन विशेषणों से उन्हें एतराज नहीं था। मगर खुद के लिए रॉबिन हुड का संबोधन उन्हें बेहद पसंद था। उन्हें चाटुकारिता की राजनीति पसंद नहीं थी। समाज के लिए जीना ही उनके जीवन का लक्ष्य था। आम अवाम के दुख-दर्द की आवाज़ बुलंद करने के लिए वे दहाड़ लगाते थे। उनकी हुंकार गोपालगंज से लेकर दिल्ली तक गूंजती थी। हनक और ठसक के साथ वे अपने समकालीन सत्ताधीशों को दो टूक कहने से कभी नहीं हिचकते थे। गोपालगंज के विधायक रहते पिपरा-पिपरासी बांध निर्माण में घोटाले को विधानसभा में उठाकर उन्होंने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया था। वाकई, पूर्व सांसद 79 वर्षीय काली प्रसाद पाण्डेय के निधन से उनके 45 वर्षों के एक युग का अंत हो गया। अपनी जनपक्षधर राजनीति के दम पर उन्होंने विधान सभा से लेकर ल...