नई दिल्ली, नवम्बर 14 -- नई दिल्ली, प्र.सं.। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि हत्या के मामले में प्रत्यक्षदर्शी के बयान को यदि मेडिकल साक्ष्य का समर्थन मिलता है, तो अपराध का उद्देश्य स्पष्ट न होने पर भी आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि पर्याप्त प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद होने पर केवल इस आधार पर आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता कि हत्या का कारण पूरी तरह सिद्ध नहीं हुआ है। अदालत ने यह भी कहा कि हत्या में प्रयुक्त हथियार की बरामदगी अनिवार्य नहीं है, जब तक प्रत्यक्षदर्शी और चिकित्सकीय साक्ष्य आरोपी की संलिप्तता की पुष्टि करते हों। इसी आधार पर पीठ ने दोषी आरिफ, अबिद, जावेद, गुफरान, तरीफ और इसराइल पहलवान की सजा को बरकरार रखा और उनकी अपीलें खार...