अमरोहा, मार्च 22 -- हजरत अली की शहादत पर माहौल गमगीन बना रहा। मजलिसों में उलेमाओं ने शहादत का वाक्या बयां किया, जिसे सुनकर लोग जार-जार रोने लगे। वहीं, शहर में कई जगह शबीह-ए-ताबूत भी बरामद किए गए। इफ्तार के बाद घरों में शुरू हुआ नजर-ओ-नियाज का सिलसिला भी देर रात तक चलता रहा। शुक्रवार को अमरोहा शहर व नौगावां सादात में आजा-ए-अमीरूल मोमिनीन शीर्षक से मजलिस का सिलसिला जारी रहा। 19 रमजान की सुबह से 21 रमजान की रात तक जारी रहने वाली इन मजालिस में हजरत अली की शहादत का बयान पेश किया जा रहा है। इसी सिलसिले की एक मजलिस को इमाम बारगाह जाफरी में खिताब करते हुए मौलाना यूसुफ अहमद मशहदी ने कहा कि हजरत अली ने समाज को शांति के साथ रहने और एक-दूसरे से हमदर्दी करने का संदेश दिया। आप इंसानियत के लिए काम करते हुए 21 रमजान को शहीद हो गए। शहादत की दास्तां सुनकर ...
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