प्रयागराज, सितम्बर 17 -- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जब कोई नाबालिग लड़की स्वेच्छा से यह जानते हुए घर से निकलती है कि वह क्या कर रही है तो यह नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त उसे भगा ले गया है। कोर्ट ने कहा कि किसी नाबालिग को किसी व्यक्ति द्वारा साथ ले जाने और किसी नाबालिग को उसके साथ जाने की अनुमति देने में अंतर है। जहां नाबालिग स्वेच्छा से वैध संरक्षकता छोड़ देती है, वहां आईपीसी की धारा 363 लागू नहीं होती। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने हिमांशु दुबे की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन यह तथ्य नहीं दे सका कि याची ने पीड़िता का अपहरण किया था। देवरिया के गौरी बाजार थाने में अपहरण के आरोप में दर्ज प्राथमिकी में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि याची उसकी लगभग 16 वर्षीय भतीजी को बहला फुसलाकर भगा ले गया था। पीड...