वाराणसी, नवम्बर 10 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग में सोमवार को 'राष्ट्रीय आंदोलन के दौर में बनारस का क्रांतिकारी आंदोलन' विषयक विशिष्ट व्याख्यान हुआ। मुख्य वक्ता बलिया एससी कॉलेज के सहायक आचार्य डॉ. शुभनीत कौशिक ने कहा कि 1942 के आंदोलन में बंगाल, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे बड़े केंद्र में काशी एक सेतु के रूप में स्थापित था। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के लिए भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन किसी व्यक्ति के खिलाफ नही था अपितु वह उस शोषण के खिलाफ था जिसका शिकार भारत के नागरिकों को बनाया जा रहा था। भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी हिन्दुस्तान में बदलाव के पोषक थे। काशी का उल्लेख करते हुए डॉ. कौशिक ने कहा कि यहां शचीन्द्रनाथ सान्याल ने आंदोलन का नेतृत्व किया, उन्होंने अपनी पीढ़ियां लगा दी, उनके चारों भाई आंदोलन में सक्...