देवरिया, अप्रैल 8 -- देवरिया, निज संवाददाता। भक्त की रक्षा स्वयं भगवान कहते हैं। समुद्र मंथन से एक बार 14 रत्न मिले पर आत्ममंथन सबसे बड़ा है, जिससे परमात्मा प्राप्त होते हैं। जिसका रक्षक भगवान हो उसे कोई मार नहीं सकता। जो प्रभु का दास हो हार नहीं सकता। उक्त बातें देवरिया-कसया मार्ग स्थित अग्रवाल वाटिका में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमदभागवत कथा महापुराण के चौथे दिन कथा व्यास श्रीकांत शर्मा ने कहीं। राम जन्म उत्सव के अवसर पर कथा का व्याख्यान करते हुए व्यास जी ने कहा राम के लिए ब्रह्मा विधमान है राम हमारे देश के वर्तमान। कथा काम, क्रोध लोभ आदि विकारों को दूर करती है काम मानव का शत्रु है ,लेकिन वह मित्र के समान प्रतीत होता है, जब वह हटता है राम का प्रवेश होता है। भगवान सभी को सूर्य की तरह समभाव से प्रकाश देते हैं । वह सब को उसके अनुकूल फल देते ह...