प्रतापगढ़ - कुंडा, फरवरी 16 -- प्रतापगढ़, संवाददाता। मेडिकल कॉलेज के राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में भर्ती टीबी के दो मरीजों ने धूम्रपान न छोड़कर खुद ही अपनी तकलीफ को बढ़ा लिया है। दोनों मरीज टीबी के साथ अब सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज) के भी शिकार हो गए हैं। इससे उनकी तकलीफ बढ़ गई है। डॉक्टर ऐसे मरीजों का उदाहरण देकर अन्य टीबी मरीजों को धूम्रपान और प्रदूषण कणों आदि को सांस नली में जाने से रोकने के उपाय समझा रहे हैं। टीबी के मरीजों का इलाज होने के बाद वे स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जीने लगते हैं। किन्तु सीओपीडी में सांस की जो नली एक बार सिकुड़ जाती है वह इलाज के बाद भी दोबारा नहीं खुलती। वरिष्ठ चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. रमेश पांडेय का कहना है कि सीओपीडी का स्थायी इलाज अब तक नहीं खोजा जा सका है। सीओपीडी में फेफड़े व वायु मार्ग सिकुड़ ज...
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