लखनऊ, अगस्त 27 -- लखनऊ, संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय अब स्नातक कॉलेजों के शिक्षकों को पीएचडी कराने की अनुमति नहीं प्रदान करेगा। एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पास हुआ पीएचडी अध्यादेश 2025 यथावत रहेगा, इसमें न कोई बदलाव किया जाएगा और न ही इसे वापस लिया जाएगा। कुलपति प्रो. मनुका खन्ना ने बुधवार को लुआक्टा पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में इस बात को स्पष्ट किया। लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) पदाधिकारियों से वार्ता में कुलपति ने कहा कि पीएचडी अध्यादेश 2025 यूजीसी शोध विनियम 2022 के अनुक्रम में ही लाया गया है। इसलिए इसके विरुद्ध निर्णय लेना अविधिक होगा। कुलपति ने कहा कि अध्यादेश एकेडमिक काउंसिल से पारित हो चुका है अब इसे कार्य परिषद में रखने के बाद अनुमोदन के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा। लुआक्टा अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे...