बिजनौर, अक्टूबर 29 -- वल्र्ड स्ट्रोक डे के अवसर पर महात्मा विदुर मेडिकल कॉलेज, बिजनौर की प्रिंसिपल डा. उर्मिला कार्या ने कहा कि स्ट्रोक (लकवा) के मरीजों के लिए इलाज के पहले चार घंटे 'गोल्डन ऑवर्स' माने जाते हैं। इस अवधि में यदि मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाकर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो स्ट्रोक से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। प्रिंसिपल डॉ. उर्मिला कार्या ने कहा कि सरकार की मंशा है कि हर मरीज को बेहतर और समय पर उपचार मिले। उन्होंने बताया कि अस्पताल में स्ट्रोक के मरीजों के लिए थ्रोम्बोलिसिस इंजेक्शन की सुविधा उपलब्ध है। क्लोटिंग वाले मामलों में यह बेहद लाभकारी है और मामला हैमरेज का होने पर न्यूरो को समय से रेफर कर सकते हैं। आने वाले समय में ऐसी स्थितियों में त्वरित मॉनीटरिंग और अलग से थ्रोम्बोलिसिस व्यवस्था सुनिश्चित कर...
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