मधुबनी, जुलाई 25 -- मधुबनी । वर्षों से हस्तशिल्प उद्योग में बांस से बनी वस्तुएं अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं। पूजा-पाठ में उपयोग होने वाले बांस के डलिया हों, या फिर घरेलू जीवन में उपयोग की जाने वाली टोकरी, दरी, पंखा, मुढ़ा, चटाई या सजावटी सामग्री, हर वस्तु किसी न किसी रूप में हमारी सांस्कृतिक विरासत की अभिव्यक्ति रही है। लेकिन आधुनिक समय में यह परंपरागत उद्योग गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। बांस से बनी सामग्री का व्यापार करने वाले कारीगर आज अनेक स्तरों पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। गीता देवी, किरण देवी, रुबी आदि महिलाएं जो वर्षों से बांस की सामग्री तैयार कर बाजार में बेचती रही हैं, बताती हैं कि हम लोगों को स्थायी दुकान नहीं मिली है। हम सड़क के किनारे ही सामान बेचने को मजबूर हैं। बारिश के मौसम में पानी भर जाने से सामान खराब हो जात...