मुजफ्फरपुर, अगस्त 13 -- मुजफ्फरपुर। बीपीएससी से बहाल हेडमास्टर मन में यह जज्बा लेकर स्कूलों में योगदान दिए कि कुछ नया करेंगे। लेकिन, कहीं टूटे कमरे तो कहीं बेंच-डेस्क नदारद। स्कूल का न खाता है और न बही। न वित्तीय प्रभार मिल रहा है और न किसी तरह का अधिकार। ऐसे में हेडमास्टर बनने की खुशी की जगह पीड़ा और डर ने ले लिया है। जिले में दर्जनभर हेडमास्टरों ने अब तक इस भय से योगदान नहीं दिया है। महिला प्रधानाध्यापकों की संख्या इनमें अधिक है। इनका कहना है कि हाईस्कूलों में किसी तरह के अभिलेख का संधारण नहीं है। हम किस कागजात के बारे में क्या बताएंगे? स्थिति यह है कि स्कूल के बाद हर दिन हेडमास्टर शिक्षा कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। वे इन समस्याओं का समाधान चाहते हैं। जिले में लंबे समय से अपग्रेड प्लस 2 स्कूलों में नियमित हेडमास्टर नहीं थे। मिडिल स्क...