नई दिल्ली, जुलाई 17 -- केंद्र ने कर्नाटक हाईकोर्ट को एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर) मामले में सामग्री हटाने के निर्देशों पर सुनवाई के दौरान बताया कि सोशल मीडिया द्वारा निरंतर निगरानी, बढ़ते साइबर अपराध और उभरते खतरों के कारण डिजिटल क्षेत्र में नियमन की तत्काल जरूरत है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि 'एक्स' जैसे इंटरनेट मध्यस्थों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए और वे व्यक्तियों के समान संवैधानिक अधिकारों का दावा नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति एन. नागप्रसन्ना के समक्ष सुनवाई, एक्स कॉर्प द्वारा आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) की उपयोगिता को चुनौती देने से संबंधित थी। इसने पहले तर्क दिया था कि आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी), जिसका अक्सर सामग्री हटाने के निर्देशों को सही ठहराने के लिए उपयोग किया जाता है, सामग्री क...
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