नई दिल्ली, जुलाई 14 -- नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल्य पता होना चाहिए और स्व-नियमन का पालन करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाए बगैर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को नियंत्रित करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने पर विचार कर रहा है। जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा है कि 'सोशल मीडिया पर मौजूद विभाजनकारी प्रवृति पर अंकुश लगाना होगा। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल के वजाहत खान की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है। खान ने अपनी याचिका में सोशल मीडिया पर कथित रूप से हिंदू देवता के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में अपने खिलाफ पश्चिम बंगाल सहि...