शामली, सितम्बर 24 -- शहर के जैन धर्मशाला में श्री 108 विव्रत सागर मुनिराज का आज का प्रवचन गुरु के महत्व और शिष्य के जीवन में उनके मार्गदर्शन पर केंद्रित रहा। मुनिराज ने कहा कि एक शिष्य के जीवन में गुरु का वही स्थान है, जो बीज के लिए सूर्य का होता है। सूर्य बीज को प्रकाश और ताप देकर वृक्ष बनने योग्य बनाता है। उसी प्रकार गुरु आत्मा रूपी बीज को मोक्ष तक पहुंचाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने शरीर को मिट्टी की उपमा दी और समझाया कि उसकी गुणवत्ता आत्मा की आध्यात्मिक प्रगति को प्रभावित करती है। उन्होने कहा कि कंकरीली मिट्टी में विकास संभव नहीं। लाल मिट्टी में सीमित प्रगति, जैसे सम्यग्दर्शन की प्राप्ति होती है। काली मिट्टी सबसे उपजाऊ है, जहां मोक्ष तक पहुंचने की क्षमता है। सोने-चांदी की मिट्टी में भले ही सुख हैं, लेकिन वहां आध्यात्मिक पौधा...
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