लखनऊ, सितम्बर 27 -- धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन में दुनिया का ध्यान आकर्षित करने वाला उत्तर प्रदेश अब ईको-पर्यटन का केंद्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। बीते तीन वर्षों में प्रदेश का प्राकृतिक पर्यटन दायरा तेजी से बढ़ा है। जहां कभी सैलानी कुछ चुनिंदा स्थलों तक ही सीमित रहते थे, वहीं अब अल्पज्ञात स्थल भी पर्यटकों की पसंद बन रहे हैं। प्रदेश सरकार 161 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि से यहां का विकास कर रही है। पहले पर्यटक मुख्य रूप से लखीमपुर खीरी, बहराइच, पीलीभीत, चंदौली, सोनभद्र, मीरजापुर, बिजनौर और चित्रकूट जैसे जिलों में आते थे। अब ईको-टूरिज्म बोर्ड रायबरेली, महाराजगंज, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर, वाराणसी, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, सीतापुर, बलिया, कुशीनगर, अयोध्या, ललितपुर, जालौन, संत कबीर नगर, प्रयागराज, बांदा, लखनऊ, उन्नाव, मुरादाबाद और ...