नई दिल्ली, सितम्बर 14 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि पत्नी पति से भरण-पोषण का दावा करती है, लेकिन अपनी नवीनतम सैलरी स्लिप या इनकम की सही डिटेल प्रस्तुत नहीं करती, तो अदालत उसके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल सकती है। जस्टिस डॉ. स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने यह टिप्पणी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दाखिल एक मामले की सुनवाई के दौरान की। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी की वित्तीय कठिनाई साबित किए बिना उसका दावा केवल काल्पनिक माना जाएगा और इस आधार पर उसे भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता। यह भी पढ़ें- 'माता-पिता के जीवित रहते दादा-दादी की संपत्ति पर पोते-पोतियों का हक नहीं' यह मामला उस पुनरीक्षण याचिका से जुड़ा था, जिसमें पत्नी ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। फैमिली कोर्ट ने पति को अपनी नाबालिग बेटी का भरण-पोषण देने का आदेश तो दिया था, लेकिन पत्न...