मधुबनी, मार्च 23 -- मधुबनी, हिन्दुस्तान टीम। हनुमानगढ़ी सागरियापट्टी अयोध्या के संत आचार्य लवकुश शास्त्री ने कहा कि जीवन में सेवाधर्म से बढ़कर कुछ नहीं है। वे शनिवार को टाउन क्लब फील्ड में मिथिलांचल हरिनाम संत सम्मेलन के 81 वां अधिवेशन में अपना प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम मानव रूप में होकर धर्म का पालन कर दिखा दिया। इसी श्रृंखला में प्रेममूर्ति श्री भरत जी महराज सेवाधर्म स्वीकार किया। इसलिए भरत जी ने सबकुछ प्राप्त किया। श्रीहनुमान जी महाराज ने देखा कि भरत जी में सेवाधर्म चरितार्थ है। यदि हमारे जीवन में भी सेवाधर्म आ जाए तो कृति चिरस्मरणीय हो जाएगा। इसलिए सभी लोग सेवाधर्म को ही स्वीकार करते हैं। यही सबसे बड़ी भक्ति है। यही सबसे पूजा है। आचार्य लवकुश शास्त्री जी महाराज ने कहा कि आज जरूरत है सेवाधर्म को जीवन में उतारने का। त...