देहरादून, सितम्बर 13 -- हर्षिल घाटी में सेब की फसल तैयार हो चुकी है, परेशान काश्तकारों की बात देहरादून तक भी पहुंची है। काश्तकार 2013 के फार्मूले का सुझाव शुरूआत से दे रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है। हर्षिल घाटी का सेब देश दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां हर साल 30 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। इस बार आपदा की मार ऐसी पड़ी कि यहां के काश्तकारों को पांच करोड़ रुपये की चपत पहले ही लग चुकी है। अकेले धराली में 6.10 हेक्टेअर सेब की फसल पूरी तरह बर्बाद हुई है। अब इस पूरी घाटी में जो फसल बची है, उसे भी बाजार नहीं मिल पा रहा है। हर्षिल धराली तक खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं, ऐसे में काश्तकार देहरादून में अफसरों के साथ ही कृषि मंत्री के चक्कर काट रहे हैं। पिछले पांच दिन में इस क्षेत्र के 10 से ज्यादा किसान कृषि मंत्री से म...