सुल्तानपुर, नवम्बर 8 -- चांदा, संवाददाता । सृष्टि का सार तत्व परमात्मा हैं। इसलिए संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। उक्त उद्गार प्रयागराज धाम से पधारे कथा व्यास दिव्यानन्द महाराज ने सोनावा गांव में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन उपास्थित भागवत भक्तों के समक्ष व्यक्त किए। महराज श्री ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब-जब धरा धाम पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। मथुरा में राजा कंस के अत्याचार से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रूप में देवकी के अष्टम पुत्...