बिहारशरीफ, अक्टूबर 24 -- सूर्यदेव के साथ उषा व प्रत्यूषा की भी होती है आराधना आस्था, संतुलन और जीवन ऊर्जा का अद्वितीय पर्व है छठ उषा देवी प्रातःकाल तो प्रत्यूषा देवी संध्याकाल की अधिष्ठात्री पावापुरी, निज संवाददाता। लोक आस्था का महापर्व छठ केवल सूर्योपासना का अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन के हर चरण में संतुलन और समरसता का प्रतीक पर्व है। इस दौरान सूर्यदेव के साथ उनकी दोनों पत्नियां 'उषा और 'प्रत्यूषा की भी विधिवत पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ये दोनों देवियां क्रमशः दिन के आरंभ और अंत की प्रतीक हैं, जो जीवन में नई शुरुआत और शांतिपूर्ण समापन का संदेश देती हैं। आचार्य पप्पू पांडेय बताते हैं कि उषा और प्रत्यूषा सूर्य देव की पत्नियां हैं। उषा देवी प्रातःकाल की देवी हैं, जो नई ऊर्जा, आशा और ताजगी का प्रतीक मानी जाती हैं। वहीं, प्रत...