गिरडीह, अगस्त 5 -- हीरोडीह। शहर की भागदौड़ और शोरगुल के बीच जब एक सुरीली आवाज़ और ढोलक की थाप कानों में पड़ती है, तो हर कोई ठिठक कर सुनने को मजबूर हो जाता है। यह कोई आम संगीत नहीं, बल्कि हौसले और संघर्ष की वो धुन है जो सीधे दिल तक उतरती है। यह कहानी है एक ऐसे सूरदास कलाकार की, जो अपनी सुरीली आवाज़ और ढोलक की थाप से न केवल अपनी रोज़ी-रोटी चलाता है, बल्कि अनगिनत चेहरों पर मुस्कान भी बिखेरता है। बता दें कि हीरोडीह थाना क्षेत्र के गोवरटोली गांव के स्व सरयू सोनार के 27 वर्षीय पुत्र गुरुदयाल सोनार जो जन्म से नेत्रहीन हैं, किसी पर निर्भर रहने की बजाय अपनी विधवा मां सावित्री देवी का सहारा लेते हुए हर सुबह वे अपने छोटे से कमरे से निकलते हैं और सड़कों पर, लोकल ट्रेनों में या बाजारों में बैठकर गाना शुरू कर देते हैं। भीड़ से कोई उन्हें पैसा देता है, त...