सुल्तानपुर, मार्च 7 -- सुलतानपुर। पवित्र क़ुरान में रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए एक पवित्र महीना बताया गया है। इसमें मुसलमानों को रोज़ा रखने के बारे में ईश्वर की तरफ से कहा गया है ताकि हमारे अंदर मानवता और इंसानियत का दर्द पैदा हो जाए। ताकि अमीर लोग गरीब लोगों की भूख और प्यास को महसूस कर सकें। मौलाना मोहम्मद उसामा कासमी ने बताया कि रमजान के महीने में हर मालदार मुसलमान को चाहिए की हर ग़रीब और हर पिछड़े का ख्याल रखे। हमारे नबी मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि ज़मीन वालों पर रहम करो आसमान वाला तुम पर रहम करेगा [हदीस]रोज़े का मतलब यह है कि हम जिस तरह भूखे और प्यासे रहते हैं इसी तरह हम गलत कामों से अपने आप को दूर रखें। और फ़िज़ूल के कामों में अपना टाइम खराब न करें। हम यह समझते हैं की भूखे और प्यासे रहने से ही रोज़ा होता है, ल...