सुल्तानपुर, मार्च 9 -- सुलतानपुर, संवाददाता। रोजा- अरबी के शौम शब्द से बना है, जिसका मतलब रुक जाना होता है। शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति से एक निश्चित समय के लिए रुक जाना है और यह अमल (कार्य) मुसलमान रमजान माह में करता है। यह बातें निजाम खान ने कहीं। उन्होंने बताया कि रमजान वह महीना है जिसमें कुरआन उतारा गया। जो इंसानों के लिए सर्वथा मार्गदर्शन है और स्पष्ट शिक्षाओं पर आधारित है। जो सीधा मार्ग दिखाने वाली और सत्य एवं असत्य का अंतर खोल कर रख देने वाला है। इसलिए अब जो रमजान महीने को पाए उस पर अनिवार्य है इस पूरे महीने के रोजे रखे (कुरआन सूरह 2आयत185) रमजान का पूरा महीना पूरे वातावरण को पुण्य (नेकी) और ईश परायणता (परहेजगारी) से रूह (आत्मा) को सराबोर कर देती है। पूरी कौम में ईश भय की खेती हरी -भरी हो जाती है। हर इंसान (औरत व मर्द) स्वयं पाप स...