संतकबीरनगर, जून 25 -- संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के लिए भी इमरजेंसी की घोषणा किसी आपदा से कम नहीं थी। लोगों की जिन्दगी ठहर सी गई थी। हर तरफ डर और भय का माहौल था। घरों से निकलने में भी लोग डरते थे। गांवों में तो फिर भी थोड़ा ठीक था लेकिन शहरों की स्थिति काफी खराब थी। हर ओर पुलिस का पहरा, सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता था। लोग कुछ बोलने में भी डरते थे। अभिव्यक्ति की आजादी पूरी तरह से समाप्त हो गई थी। सूचना तंत्र भी ठप थे। लोगों को देश दुनिया में क्या हो रहा है इसकी कोई जानकारी नहीं होती थी। यह कहना है कि इमरजेंसी के समय का दंश झेल चुके संतकबीरनगर जिले के लोगों का। आज आपातकाल के दंश को 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं, लेकिन लोगों के संस्मरण में उस समय की सारी बातें पूरी तरह से ताजा हैं। आज भी लोग उस समय को याद करते हैं तो सहम जाते ह...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.