नई दिल्ली, अक्टूबर 17 -- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में 2019 में कानून बनने के बावजूद तृतीय लिंग (ट्रांसजेंडर) समुदाय के लोगों के साथ हो रहे भेदभाव पर चिंता जताई। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह सलाहकार समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के तीन महीने में 'समान अवसर नीति बनाए। न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि तृतीय लिंग व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 और इसके संबंधित नियमों को 'क्रूरतापूर्वक निष्क्रिय बना दिया गया है तथा केंद्र और राज्यों ने उनके प्रति 'बेहद उदासीन रवैया प्रदर्शित किया है। पीठ ने कहा कि समुदाय को भेदभाव और हाशिए पर धकेले जाने का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही स्वास्थ्य सेवा, आर्थिक अवसरों की कमी और गैर-समावेशी शैक्षिक नीतियों के कारण उनका संघर्ष और भ...