लखीमपुरखीरी, सितम्बर 12 -- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत और अग्रिम जमानत से जुड़ी याचिकाओं पर अहम फैसला सुनाया। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय ऐसी प्रार्थनाओं को तीन से छह माह के भीतर निपटाएं। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला सीधे व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा है, इसलिए याचिकाएं वर्षों तक लंबित रहना न्याय के साथ खिलवाड़ है। अधिवक्ताओं ने इस आदेश का स्वागत किया है। अधिवक्ता विवेक अवस्थी का कहना है कि यह निर्णय न्याय के सिद्धांत के साथ जुड़ा हुआ है। इससे जेलों पर भी बोझ कम होगा और जमानत की याचिकाओं का समय पर निस्तारण हो सकेगा। अदालती पैरवी के लिए भी सहायता मिल सकेगी। अधिवक्ता प्रसून अवस्थी ने कहा कि संविधान नागरिकों को मूल अधिकार देता है कि उनकी स्वतंत्रता उनसे बिना बिना उ...