नई दिल्ली, अगस्त 18 -- केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दो टूक कहा है कि न्यायपालिका यह तय नहीं कर सकती कि राष्ट्रपति कब और किस विधेयक के मामले में शीर्ष अदालत से सलाह ले सकते हैं। विधेयकों की संवैधानिकता पर राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय की राय लेने के लिए बाध्य करने वाले फैसले पर आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को यह निर्देश नहीं दे सकतीं कि राष्ट्रपति अपने पूर्ण विवेक का प्रयोग करते हुए कैसे और कब और किन मुद्दों पर सर्वोच्च न्यायालय की राय लें। इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि राज्य विधानसभा में पारित विधेयकों पर कदम उठाने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति पर निश्चित समयसीमा थोपने का मतलब होगा कि सरकार के एक अंग द्वारा संविधान में उसे प्रदान नहीं की गई शक्तियों का प्रयोग करना और इससे ''संवैधानिक अव्यवस्था'' पैदा ...