सुपौल, अगस्त 18 -- सुपौल, हिन्दुस्तान संवाददाता। महिलाओं, बच्चों सहित आम यात्रियों की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक वाहनों में ट्रैकिंग डिवाइस व पैनिक बटन लगाना था। आरटीए के निर्देश के बावजूद जिले के तकरीबन 30 फीसदी वाहनों में यह नहीं लगाया जा सका है। वहीं, बस के अधिकांश चालकों को इसकी जानकारी तक नहीं है। दिल्ली की 2012 की घटना के बाद महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा के लिए निर्भया के तहत योजना बनी। वर्ष 2022 में यह बिहार में लागू किया गया। परिवहन विभाग ने स्कूली वाहनों और टैक्सियों में सुरक्षा की दृष्टि से पैनिक बटन और व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) लगवाने की पहल की थी। लेकिन, अब भी जिले में करीब 40 फीसदी वाहनों में यह डिवाइस नहीं लगे है। डीटीओ शशिशेखरम ने बताया कि अब नए वाहनों में यह लगाना अनिवार्य है। कहा है कि जांच में गड़बड़ी मिलने पर ...
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