भागलपुर, मई 5 -- सुपौल ।श्री जगत जननी भगवती सीता की अपार महिमा संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है वेद शास्त्र पुराण इतिहास तथा धर्म ग्रंथो में इनकी अनंत लीलाओं का अनंत वर्णन पाया जाता है ।यह भगवान रामचंद्र जी की प्राण प्रिया आद्या शक्ति हैं ।इन्हीं की भृकुटी विलास मात्र से उत्पत्ति स्थिति संघार आदि कार्य हुआ करते हैं। श्रुति का वाक्य है कि समस्त देहधारियों की उत्पत्ति पालन तथा संहार करने वाली आद्या शक्ति मूल प्रकृति भगवती सीता जी ही हैं। जानकी जी साक्षात आद्या परात्परा शक्ति कहलाती है । उपनिषद में कहा गया है कि पृथ्वी, पाताल स्वर्ग आदि, तीनों भुवन , सप्त द्वीप वसुंधरा तीनों लोक तथा आकाश यह सभी जानकी जी में प्रतिष्ठित हैं ।यह कहना है पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र का ।उन्होंने 6 मई मंगलवार को भगवती सीता जी जानकी जी की प्राकट उत्सव है ।उन्हो...