सुपौल, नवम्बर 4 -- सुपौल,एक प्रतिनिधि। छठ महापर्व के खरना दिन से शुरू होने वाला सामा चकेबा मिथिलांचल का प्रसिद्ध पारम्परिक लोकपर्व है। यह लोकपर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्व है। यह पर्व पूर्व में गांव से शहर तक पूरे उत्साह से मनाया जाता था। लेकिन समय के साथ इसमें भी बदलाव आने लगा है। अब शहरी क्षेत्रों में सामा चकेबा त्योहार कमोवेश ही देखा जाता है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह पर्व पूरे उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है। इसमें बहनें सामा-चकेबा, चुगला आदि की मूर्ति बनाकर उन्हें पूजती हैं। हर दिन पर्व से सम्बन्धित लोक गीत गाया जाता है। इसे मिथिलांचल में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। पर्व के दौरान बहनें अपने भाई के दीर्घ जीवन एवं सम्पन्नता की मंगल कामना करती है। सामा-चकेबा का पर्व पर्यावरण से संबद्ध भी माना जाता है। ग्रामीण ...
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