सुपौल, नवम्बर 7 -- छातापुर,एक प्रतिनिधि। चुगलखोर चुगला का मुंह जलाने के साथ ही मिथिला की संस्कृति के उत्सव का पर्व सामा चकेवा बुधवार की रात पारंपरिक रीति रिवाज के साथ रात साढ़े 10 बजे सम्पन्न हो गया। मिथिलांचल के घर-आंगनों में शाम से ही सामा-चकेवा के गीत गूंजने लगे थे। इस दौरान महिलाओं ने भावपूर्ण पारंपरिक गीतों के साथ सामा-चकेवा को विदाई दी। तमाम ग्रामीण इलाकों में महिलाओं ने देर रात तक मिट्टी से बने सामा-चकेवा के विदाई की रस्म पूरी की। परंपरानुसार सामा-चकेवा,सतभइया,वृंदावन,चुगला,ढोलिया-बजनिया, बन तितिर,पंडित और अन्य मूर्तियों के खिलौने वाले डाला को लेकर महिलाएं घरों से बाहर निकली तथा पटुआ से बने चुगला को जलाया और उसका मुंह झुलसाया गया। इसके बाद अगले दिन गुरुवार की सुबह उन्हें सामूहिक रूप से विसर्जित किया गया। कहा कि जिस तरह एक बेटी को स...