वाराणसी, अगस्त 4 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। भगवान श्रीकृष्ण कभी नहीं रोए। ब्रज छूटा, महाभारत का युद्ध हुआ, छप्पन हजार यदुवंशियों के शव देखे फिर भी श्रीकृष्ण की आंखों में आंसू नहीं थे। जैसे ही श्रीकृष्ण ने सुदामा के चरण धोने शुरू किए उनकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली। वे सुदामा की निष्काम भक्ति से मोहित हो गए और उनको सर्वस्व प्रदान किया। ये बातें पं. श्रीकांत शर्मा बालव्यास ने कहीं। वह महमूरगंज स्थित शुभम लॉन में हो रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन प्रवचन कर रहे थे। बालव्यास ने कहा कि भारत में आज भी श्रीकृष्ण सुदामा जैसी मित्रता की कमी नहीं है। सच्चे मित्रता की यही पहचान है कि मित्र में ईश्वर की छवि दिखलाई पड़े। विद्वान अपनी विद्वता का उपयोग धनार्जन के लिए नहीं करते है बल्कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए करते हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी वि...