बेगुसराय, अगस्त 1 -- नावकोठी, निज संवाददाता। आहार मानव के चिंतन का आधार है। इसका प्रभाव व्यक्ति के चरित्र और चिंतन पर पड़ता है। कहा भी गया है 'जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन। जब तक धरती पर से जीव हिंसा व शराब बंद नहीं होगा, तब तक सनातन धर्म की परिकल्पना करना मिथ्या है। ये बातें जय गुरुदेव संस्था के राष्ट्रीय उपदेशक सतीश चंद्र यादव ने नावकोठी में शुक्रवार को कहीं। वह जिलास्तरीय जय गुरुदेव संस्था द्वारा आयोजित सत्संग में विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मानव को मानवीय गरिमा का बोध कराना ही जय गुरुदेव का संकल्प है। शाकाहारी व सदाचारी मानव धर्म के प्रचार प्रसार हेतु मानवीय मूल्यों की स्थापना के उद्देश्य से 125 दिनों की यात्रा पर निकले हुए हैं। बिहार, राजस्थान, हरियाणा आदि प्रांतों का भ्रमण करते हुए 28 नवंबर को मथुरा में आयोजित कार्यक्रम क...