नई दिल्ली, नवम्बर 21 -- दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ फरवरी, 2020 में राजधानी दिल्ली में हुआ प्रदर्शन कोई धरना नहीं था, बल्कि बांग्लादेश और नेपाल की तरह सत्ता बदलने के मकसद से किया गया था। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा की साजिश के आरोप में आतंकवाद निरोधक कानून के तहत जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए यह दलील दी है। जस्टिस अरविंद कुमार और एन. वी. अंजारिया की पीठ के समक्ष दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कहा कि हिंसा एक सुनियोजित साजिश का नतीजा थी, जिसमें ताहिर हुसैन, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर, इशरत जहां और खालिद सैफी समेत कई आरोपी शामिल थे। इन पर हिंसा के लिए ...