रामपुर, अक्टूबर 31 -- रामपुर। सीआरपीएफ केंद्र पर आतंकी हमले मामले में पुलिस और एटीएस की विवेचना में बड़ी खामियां सामने आई हैं। इन खामियों के कारण कानूनी दांव-पेच आजमाकर सात जवानों और एक रिक्शा चालक की जान लेने वाले गुनहगार मृत्युदंड से बच गए। साक्ष्यों के अभाव में हाईकोर्ट ने रामपुर सेशन कोर्ट का फैसला पलटते हुए आरोपियों को सिर्फ आर्म्स एक्ट का दोषी मानते हुए मृत्युदंड से मुक्त कर दिया। अब वे सिर्फ 10 साल की सजा काटेंगे, जो पहले ही पूरी हो चुकी है। 31 दिसंबर 2007 को जब सीआरपीएफ पर आतंकी हमला हुआ था। उसकी रिपोर्ट सिविल लाइंस कोतवाली के तत्कालीन दरोगा ओमप्रकाश शर्मा की ओर से दर्ज करायी गई थी। इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। एक नवंबर 2019 को कोर्ट ने दो आरोपियों को दोषमुक्त तथा छह आरोपियों को दोषी करार...