विधि संवाददाता, फरवरी 18 -- पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह तय किया है कि शराबबंदी कानून के तहत केवल ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुई प्राथमिकी अवैध है। कोर्ट ने कहा कि ब्रेथ एनालाइजर मशीन की रिपोर्ट किसी व्यक्ति के मद्यपान करने का कोई ठोस प्रमाण नहीं देता, इसलिए केवल सांस की दुर्गंध जांच कर दर्ज हुई प्राथमिकी शराबबंदी कानून में अमान्य होगी। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकलपीठ ने नरेंद्र कुमार राम की अपराधिक वृत याचिका को मंजूर करते हुए उसके खिलाफ किशनगंज उत्पाद थाने में पिछले वर्ष दर्ज हुई प्राथमिकी (कांड संख्या 559/2024) को निरस्त कर दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि ब्रेथ एनालाइजर मशीन की रिपोर्ट का समर्थन किसी प्राथमिकी में दर्ज हुई आरोपित के असामान्य व्यवहार जैसे लड़खड़ाती जबान या चढ़ी हुई आंख जैसे हालात से समर्थि...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.