मैनपुरी, अगस्त 7 -- नगर के एकरसानंद आश्रम में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के आठवें दिन पोथी पूजन एवं व्यास पूजन कथा के यजमान अवधेश सिंह चौहान व उनकी पत्नी अंजू चौहान द्वारा किया गया। कथा वाचक आचार्य गोविंद देव ने कंस वध की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि कंस यानि अभिमान। आचार्य ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा नगरी में प्रवेश किया तो उन्हें सबसे पहले कुब्जा मिली। कुब्जा कंस की दासी थी। कुब्जा हकीकत में सुंदर थी, लेकिन तीन दोष के कारण वह कुवड़ी कहलाती थी। भगवान श्रीकृष्ण ने उसे दोष मुक्त कर उनका कल्याण किया। उन्होंने बताया कि कुब्जा बुद्धि है और बुद्धि के पिता सद्गुरु हैं। बुद्धि के पति परमात्मा है। बुद्धि जब तक भगवान रुपी पति को वरण नहीं करती है, वह पिता के अधीन है। कुब्जा कंस यानि अभिमान के अधीन थी। अब कुब्जा भगवान को समर...