नई दिल्ली, अप्रैल 30 -- दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ उत्पीड़न को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता। आत्महत्या के लिए उकसाने के मामलों में भावनात्मक या मानसिक स्थिति का ध्यान रखना भी जरूरी है। कोर्ट ने एक आदमी के आत्महत्या मामले में उसकी पत्नी और बेटे की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि पति-पत्नी या परिवार में होने वाले झगड़े को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में महिला और उसके बेटे को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है। जस्टिस रविंदर डुडेजा ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामलों में भावनात्मक या मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति या मानसिक समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति जैसे कारकों पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, "किसी व्यक्ति को अपराध करने के लिए उकसाना या ऐसा...
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