नई दिल्ली, अगस्त 29 -- दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक केस की सुनवाई के दौरान बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणी की, जिसमें उसने कहा कि सिर्फ गांव के कुछ लोगों के सामने विवाह विच्छेद दस्तावेज पर साइन करके सम्पूर्ण विधिविधान और रीति रिवाजों से संपन्न हुए हिंदू विवाह को रद्द नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने CISF के कांस्टेबल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसके जरिए उसने पहली शादी के रहते हुए दूसरी शादी करने के कारण अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सी.हरिशंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि कोई भी कानूनी सिद्धांत इस तरह के अनौपचारिक तरीकों से हिंदू विवाह को भंग करने की अनुमति नहीं देता है। अदालत ने आगे कहा कि CISF के नियमों का नियम नंबर 18 भी उन स्थितियों पर भी लागू होता है जहां कोई कर्मच...