आरा, अक्टूबर 30 -- वन मिनट बिहिया। सियासत में उन्माद और प्रत्याशियों पर हमले लोकतंत्र के लिए अत्यंत खतरनाक है। ये हिंसा, अराजकता और भय को बढ़ावा देते हैं। यह प्रवृत्ति स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए हानिकारक है। इस स्थिति से निपटने के लिए राजनीतिक दलों को अपनी विचारधारा को मजबूत करना चाहिए। अपने सदस्यों को अनुशासित करना चाहिए। ऐसे विचारों को हतोत्साहित करना चाहिए, जो हिंसा को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा वे चुनाव आयोग और कानूनी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं ताकि ऐसी घटनाओं की रोकथाम हो सके। लोकतंत्र के महापर्व में तो उन्माद, हिंसा और अराजकता को बिल्कुल जगह नहीं मिलनी चाहिए। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। इससे असुरक्षा का डर और भय बना रहता है। उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के मन में भय और असुरक्षा की भावना पैदा करते हैं। इससे वे मतद...