कुशीनगर, अगस्त 14 -- कुशीनगर। देश बंटवारे के बाद पाकिस्तान से अपने वतन को लौटा सिंधी परिवार को दो सालों तक खानाबदोश का जीवन गुजारना पड़ा था। छह बच्चों समेत पत्नी के साथ दो साल तक फैजाबाद में रहने के बाद कुशीनगर पहुंचे सखीचंद के पिता को एक सप्ताह तक जिले में दर दर भटकना पड़ा था। इसके बाद कसया बस स्टैंड के समीप एक चिकित्सक की मदद से चाय की दुकान चलाने के लिए जगह मिलने के साथ ठहरने की ठौर मिली। कुशीनगर के कसया कस्बा में पिछले सात दशक से निवास करने वाला सिंधी परिवार को कभी यहां शरणार्थी बनकर जीवन काटना पड़ा। बगैर सुविधाओं के लंबे समय तक ईमानदारी, त्याग व कड़ी मेहनत की बदौलत जिले के इकलौता सिंधी परिवार का मिठाई कारोबार कसया से लगायत फाजिलनगर तक फैल चुका है। एक किराये की दुकान में शुरू हुआ कारोबार एक दर्जन दुकानों में तब्दील हो चुका हैं। कसया म...