भागलपुर, जुलाई 8 -- सुल्तानगंज (भागलपुर), निज संवाददाता सावन में जहां कांवरियों की भीड़ उमड़ती है, वहीं पंडों की बाढ़ सी आ जाती है। मेले के दौरान यहां पर पंडों की संख्या अन्य दिनों से कई गुना अधिक हो जाती है। इन पंडों के पास यजमानों का तीन सौ वर्ष पुराना रिकॉर्ड उपलब्घ है। बिहार और झारखंड के विभिन्न जिलों से पंडा यहां सावन के दौरान आते हैं। पहले यहां स्थायी और अस्थायी पंडों के बीच झड़प होती रहती थी। इधर, कई वर्षों से प्रशासन द्वारा पहचान पत्र दिए जाने के बाद इस समस्या से काफी हद तक निजात मिली है। जानकारों के अनुसार, पहले यहां स्थायी पंडों के 50 से अधिक घर थे। उनके पास आज भी अपने यजमान का तीन सौ वर्षों का पुराना रिकॉर्ड है। ध्वजा गली निवासी चुन्नू मुन्नू लाल मोहरिया पंडा ने बताया कि उनके पास यजमानों का 1775 ई. तक का रिकॉर्ड मौजूद है। पहले ...
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