बांका, अगस्त 15 -- कटोरिया (बांका), निज प्रतिनिधि। देश को आजादी मिले 78 साल और जिले के गठन के 34 साल पूरा के बाद भी जिलेवासियों की किस्मत नहीं बदली है।बेरोजगारी और पलायन आज भी यहां की पीड़ा बनी हुई है। श्रावणी मेले की रौनक खत्म होते ही बांका जिले के हजारों प्रवासी एक बार फिर परदेस की ओर रवाना हो रहे हैं। जिससे गांव का गांव फिर से खाली होने लगा है। सावन के महीने में परदेस से लौटकर आए हजारों प्रवासी ने कांवरिया पथ पर अस्थायी दुकानें, होटल-ढाबा, चाय-नाश्ते के ठेले, खोमचे आदि लगाकर अच्छी कमाई की। लेकिन यह कमाई सिर्फ चंद दिनों की राहत है, सालभर का स्थायी सहारा नहीं। जैसे ही कांवरियों की भीड़ कम हुई, वैसे ही रोजगार के अवसर भी सिमट गए, और अब पेट की मजबूरी उन्हें अपने गांव छोड़कर दूसरे राज्यों के शहरों में मजदूरी और छोटे-मोटे काम करने के लिए धकेल...